Monday, January 9, 2017

भारतीय दंड संहिता की धारा 304 गैर इरादतन हत्या के मामलों में

धारा 304 – अमूमन हत्या के मामलों में भारतीय दंड संहिता की धारा 302 लगाई जाती है. लेकिन गैर इरादतन हत्या के मामलों में धारा 302 नहीं लगाई जा सकती. ऐसे मामलों में भारतीय दंड संहिता की धारा 304 लगाए जाने का प्रावधान है. धारा 304 उन मामलों में लगाई जाती है, जहां आरोपी की नीयत किसी की हत्या करने की न हो. या ऐसे मामले जिनमें किसी की मौत तो होती है, पर उसमें किसी का इरादतन दोष नहीं होता. इस धारा के तहत आने वाले मौत के मामलों में दस वर्ष की सजा का प्रावधान है.
धारा 328 – आईपीसी की धारा 328 (अपराध करने के इरादे से जहर आदि के माध्यम से चोट पहुंचाना) के तहत आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं जो कि गैर जमानती है.
अब गुटखा बेचने वालों पर जहर देकर मारने की कोशिश के अपराध के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा. इस अपराध के तहत 10 वर्ष की कैद का प्रावधान है.

धारा 302 एक गैर जमानती अपराध है आमतौर पर लोअर कोर्ट 302 में जमानत नहीं देते है लेकिन लोअर कोर्ट से जमानत रिजेक्ट होने के बाद हाई कोर्ट में जमानत के लिए अपील की जा सकती है.

अगर B पार्टी के लोगों ने प्लानिंग करके सामान्य आशय से A पार्टी का मर्डर किया है तो सब पर धारा 34 और धारा 302 लगेगी और सबको सामान सज़ा मिलेगी.
इन्वेस्टीगेशन के बाद अगर कोर्ट में ये साबित हो जाये कि B पार्टी ने A के 4 लोगों का जानबुझकर मर्डर किया है तो उन सब पर दूसरी धाराओं के साथ धारा 302 भी लगेगी और उम्र कैद या फांसी होगी.

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